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आज दिल्ली बम ब्लास्ट काण्ड का एक आरोपी आजमगढ़ से ही पकड़ा गया । उसी आजमगढ़ से जिसकी चर्चा पिछले वर्ष बाटला हाउस मुठभेड़ काण्ड में मारे गये मुस्लिम युवक के साथ साथ सम्पूर्ण भारत में इस तरह हुई थी कि आजमगढ़ जिले का संजरपुर गांव और निकटवर्ती कुछ गांव पूरे भारत में मुस्लिम आतंकवाद के केन्द्र बने हुये है। उस समय कुछ देश भक्त मुलायम सिंह यादव, अमर सिंह, जामिया मिलिया के कुलपति मुनिरूल हसन, सबाना आजमी तथा बड़ी मात्रा में मानवाधिकार कार्यकर्त्ताओं ने उक्त प्रचार को असत्य कहकर आजमगढ़ जिले को बदनाम करने की साजिश बताया था । हद तो तब हुई जब इन लोगो ने ‘शहीद पुलिस इंस्पेक्टर की ‘शहादत पर ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया था । एक केन्द्रीय मन्त्री ए. आर. अन्तुले तक ने उनका साथ दिया था । घटनाएं स्पष्ट है कि उक्त संजर पुर गांव के कुछ मुस्लिम युवकों की पोल खुलते ही सम्पूर्ण भारत में हो रहे सिलसिलेवार बम धमाके बन्द हो गये । सिद्ध हो गया कि बम धमाकों के तार आजमगढ़ जिले के मुस्लिम युवकों के साथ जुड़े थे और युवकों के तार मुलायम अमर सहित पेशेवर मानवाधिकारवादियों के साथ ।
आतंकवाद की दूसरी घटना की चर्चा तीन दिन पूर्व ही समाचारों में आई कि दो तीन वर्ष पूर्व हिन्दू आतंकवाद के लिये गिरफ्तार प्रज्ञा ठाकुर और कर्नल पूरोहित ने अपनी आतंकवादी घटनाओं के लिये पाकिस्तान के मुस्लिम आतंकवादियों तक की सहायता ली थी । उस समय जब प्रज्ञा ठाकुर और कर्नल पुरोहित प्रकाश में आये तब संध शिव सेना तथा भाजपा के लोग इन आतंकवादियों के समर्थन में उठ खडे हुये थे । इन लोगो ने भी उस बेचारे हेमन्त करकरे को गद्दार कह दिया था जिसने इस काण्ड का पर्दाफाश किया था और जो कुछ माह बाद ही बम्बई आतंकवादी हमले मे मारा गया । इन दोनों आतंकवादी हिन्दुओं की करतूतो से पहली बार हिन्दू समाज का सर झुका था किन्तु बेशर्म गिरोह बाज फिर भी सर उठाकर चलते रहे । यहॉ तक पोल खुली थी कि प्रज्ञा और पुरोहित ने इन्द्रेश जी सहित संघ के दो उच्च पदाधिकारियों की हत्या की योजना इसलिये बनाई थी कि ये दोनो संघ पदाधिकारी हिन्दू मुस्लिम मेल मिलाप की बात करते है। दुख होता है जब संघ शिव सेना ऐसे आतंकवादियों के समर्थन में खड़ी होती है। कर्नल पुरोहित की संलिप्तता की जानकारी पाकिस्तान के एक मन्त्री ने भारत सरकार को दी । इस संबंघ में हमारे कर्नल पुरोहित समर्थकों को स्थिति स्पष्ट करानी चाहिये ।
विचार करिये कि बाटला हाउस घटना में मारे गये मोहन लाल ‘शर्मा और प्रज्ञा पुरोहित की पोल खोलने वाले हेमन्त करकरे जैसे ईमानदार कर्तव्यनिष्ठ अफसरों की प्रशंसा पूजा सम्मान की जगह मुलायम अमर सिंह सुदर्शन बाल ठाकरे इसलिये बदनाम करे क्योकि इन लोगों ने साम्प्रदायिकता की दो दुकाने खोल रखी है और दोनो पक्षो के इनके ग्राहकों की पोल खुल रही है। तो दो ‘शहीद अफसरों के परिवार क्या सोचते होगें । इन दोनो गुटो में ‘शामिल हिन्दू और मुसलमान कितने चरित्रवान है ? कितने देश भक्त है ? आज यह विचार करने का समय है कि समाज इन पेशेवर दुकानदारों की खुली दुकानों से कैसे मुक्त हो ? दोनों घटनाओं का संक्षिप्त विवरण कई वर्ष पूर्व प्रकाशित ज्ञानतत्व 165 तथा 169 के शीर्ष लेखों में भी पढ़े ।